RAHUL RAJ MISHRA

Rahul Raj Mishra

Rahul Raj Mishra

सूचना पट्टिका

सभी चित्र गूगल से साभार ग्रहण। इस ब्लोग पर लिखी सभी रचनाऎं पूर्णतया लेखक के अधिकार में सुरक्षित है।

HTML codes

रविवार, 15 जून 2014

लफ्ज-ए-दिल

एक इंसान की वजह से मुहब्बत के मायने बदल गये,  कभी इबादत तो आज कयामत लगती है मुझे।।

शराफत छोङ दी उसने, बेहयाई इस कदर छाई।
उसने ही साथ छोङ दिया जो कहता था, हूँ  मैं परछांई।।

अब तो तेरे जिक्र से भी दर्द होता है मुझे,
एक जमाना था कि हम तेरे नाम से जिया करते थे। तुझसे जुङी हर चीज से रूसवाई सी हो गयी है मुझे, वरना तो तेरे टूटे बालों को भी हम संजो के रखते थे।।

हम तो सिर्फ हमारी आदतों से बदनाम हैं,
वरना खामियों का जलवा तो तुम्हारा ही है।।

हम तो निकले थे तलाशे इश्क में,
सारे जमाने से बगावत करके।
निभायी हमने मुहब्बत सनम से,
हर कोशिश अदावत करके।।
जाने क्यूँ उसने इस कदर,
 मेरा दिल चकनाचूर किया।
 खुश तो वो भी न रह सकेंगे,
मुहब्बत की खिलाफत करके।।

इंसान की दुनिया को जब भी धोखे की मिशाल देऩी होगी, बस तुम्हारा नाम  ही चार चांद लगा देगा।।

आया वो ये कहते हुये, तेरे बिन रह नहीं सकता।
कितना प्यार था मुझको, बयां कर भी नहीं सकता।। उसको सौंप दी जिंदगी की हर उम्मीद मैंने।
अब वो ही कहता है, तेरे संग रह नहीं सकता।।

जिंदगी तक कुर्बान की जिसके सुकून पर,
दुनिया का हर वो शख्स बेईमान निकला।।

मैं यकीं दर यकीं करता चला गया,
और वो बेवफाई साबित करता रहा।
वो खुश होकर जीता रहा जिंदगानी में,
मैं यहाँ पल पल मरता रहा।।

मेरी गुमशुदगी इस तरह भा गई हैै मुझे,
अब तो गुमशुदा रहने का शौख सा हो गया है।।

शिकवा नहीं उससे की उसने मुहब्बत में धोखा दिया,
दर्द तो सिर्फ ये है कि हम भरोसा करते रहे।।                        
मेरे सारे शौख मैंने ही कत्ल कर डाले,
दुनिया में मुसीबतों का जब तकाजा हुआ मुझे।।            
मेरा पैगाम तुम तक गर पहुँच जाये तो जाहिर हो,
दिल जोड़ने दिल तोड़ने में तुम ही माहिर हो।।

मैं तो बहता पानी ही था, पाकर उसको मैं ठहर पड़ा। जब खुद का मुझको भान हुआ, अपऩी ही लय में निकल पड़ा।।

उसकी बेवफाई का नमूना इससे बढ़कर क्या होगा,
अपने भी सारे इल्जाम मेरे दामन में भर दिये।।

शराफत से जब तलक जीता रहा राहुल,                       हरेक इंसा जिंदगी में नश्तर चुभोता रहा।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

लिखिए अपनी भाषा में