RAHUL RAJ MISHRA

Rahul Raj Mishra

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रविवार, 10 जून 2012

मां




मधु की वह एक बूंद है, जो सागर का खार मिटा डाले,
जीवन पथ में, सब कष्टों में, वह सारा भार मिटा डाले।
वह प्रतिमा है नेह, त्याग की, सब रिश्तों की सच्चाई है,
वह केवल मां है जो अपनों पर, सारा संसार मिटा डाले॥

7 टिप्पणियाँ:

Dr.Krishna Kant Madhur ने कहा…

bahut achchhe bhav hen rahul ji . sahej kar rakhiye aur ho sake to aage bhi badhaiye. shubh kamnayen.

Siya - A Writer & Musician ने कहा…

bahut khoob wah

Siya - A Writer & Musician ने कहा…

behad khoobsurat rachna wah dili daad haazir hai

देवेंद्र मिश्र DEVENDRA MISHRA ने कहा…

shabaash anuj .aise hi kavi sansaar me gote lagane ko tatpar raho .iswari satta aaj bhi vidyamaan hai

राहुल राज मिश्र (वात्स्यायन) ने कहा…

सिया जी, मधुर जी, मेरे ज्येष्ठ भ्राता आभार आपका।
सदैव आपके स्नेह का आकांक्षी-
राहुल राज मिश्र

Unknown ने कहा…

I LOVE MY MOM

राहुल राज मिश्र (वात्स्यायन) ने कहा…

स्वागत है बन्टी जी। आपका स्नेह बना रहे।

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