RAHUL RAJ MISHRA

Rahul Raj Mishra

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बुधवार, 6 जून 2012

दिल





फना इस दिल में एक हसरत सी रहती है।
हरपल ना जाने क्यों एक गफलत सी रहती है।
एक खुदगर्ज को खुदा मान लिया था मैंने,
अब ना जाने क्यों उससे नफरत सी रहती है॥

राहुल राज मिश्र (वात्स्यायन)

6 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

KASAM SE DIL KO CHU GAYI

राहुल राज मिश्र (वात्स्यायन) ने कहा…

आभार आपका लोहिया जी

बेनामी ने कहा…

Amazing lines... wow
Sulochana Mishra

राहुल राज मिश्र (वात्स्यायन) ने कहा…

dhanywad sulocha ji

Madan Mohan Saxena ने कहा…

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ

superb.

Unknown ने कहा…

Log khte hain: Tum kyu apne pyar ka izhar nahi karte?
Hmne kha:jo 3 lafzo me byan ho jaye,sirf utna hum unse pyar nhi krte...

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