Rahul Raj Mishra
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गुरुवार, 12 जुलाई 2012
बेनियाजी दौर
बेनियाजी दौर
कहीं अल्फ़ाज बिकते है, कही इल्जाम बिकते है,
बेनियाजी दौर में यहां, कई बस नाम बिकते है।
मजलिस में हर खुद्दार पर, यह काबिजे-नातमामी,
जओफ़ समझो ना मेरी, यहां बस जाम बिकते हैं॥
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4 टिप्पणियाँ:
kuch samajh me nai aya... plz samjhaiye
वाह...
बहुत खूब कहा !!
अनु
सुन्दर, अति सुन्दर , शुभकामनाएं.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारें, प्रतीक्षा है आपकी .
aashish aapka sriman. ma sarswati or apki kripa ka abhilashi hu
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